लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है।
पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, इस मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए सुनवाई का फैसला किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे और डीएम अभिषेक प्रकाश को तलब किया है।
रविवार होने के बावजूद जस्टिस गोविन्द माथुर ने दोनों को आज इलाहाबाद हाईकोर्ट कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
इलाहाबाद कोर्ट ने लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश और पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे को आज सुबह 10 बजे तलब करते हुए हाईकोर्ट को यह बताने का आदेश दिया है कि कानून के किस प्रावधान के अंतर्गत इस प्रकार के पोस्टर चस्पा किये गए हैं।
आज रविवार के दिन छुट्टी होने के बावजूद अदालत इस मामले की सुनवाई करेगी। कोर्ट ने कहा है कि पोस्टर में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत यह चौराहों पर लगाए गए हैं।
हाईकोर्ट का तर्क है कि पब्लिक प्लेस पर बिना संबंधित व्यक्ति की अनुमति के उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है। यह राइट टू प्राइवेसी का पूरी तरह से उल्लंघन है।
रविवार सुबह 10 बजे इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच इस मामले की सुनवाई करेंगी और डीएम अभिषेक प्रकाश और पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे का पक्ष सुनेगी।
आपको बता दें कि सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते साल 19 दिसम्बर को लखनऊ के ठाकुरगंज और कैसरबाग क्षेत्र में हिंसा हुई थी। हिंसा के आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से वसूली आदेश जारी हुआ है।
मामले में लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने कहा कि हिंसा फैलाने वाले सभी जिम्मेदार लोगों के पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं। उन्होंने कहा वसूली राशि अदा न करने पर सभी की संपत्ति भी कुर्क की जाएगी।
सभी चौराहों पर ये पोस्टर लगाए गए हैं, जिससे उनके चेहरे बेनकाब हो सकें। इसी मामले का अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश और पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे को तलब किया है।
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